तुलसीदास जी ने अपने प्रिय ग्रंथ का नाम "राम चरित मानस" रखा, जो उनकी साधना का खोजपूर्ण संकल्प है। यह मानस वास्तव में राम की कथा नहीं मात्र एक ऐतिहासिक घटना नहीं, बल्कि मन के भीतर के दिव्य अवतार की उत्कृष्ट व्याख्या है। "रामचरित मानस" का अर्थ है—राम के चरित्र को मन से अनुभव करना और उसकी आत्मा में बसाना।
आत्मिक रामायण: तुलसीदास का दिव्य संदेश
तुलसीदास जी ने अपने प्रिय ग्रंथ का नाम "राम चरित मानस" रखा, जो उनकी साधना का खोजपूर्ण संकल्प है। यह मानस वास्तव में राम की कथा नहीं मात्र एक ऐतिहासिक घटना नहीं, बल्कि मन के भीतर के दिव्य अवतार की उत्कृष्ट व्याख्या है। "रामचरित मानस" का अर्थ है—राम के चरित्र को मन से अनुभव करना और उसकी आत्मा में बसाना।